पोलियो (Polio): एक गंभीर संक्रामक रोग, समस्या, बचाव सभी जानकारी

 



पोलियो : एक गंभीर संक्रामक रोग

पोलियो एक प्राचीन लेकिन बहुत ज्यादा खतरनाक बीमारी है, जिसने वर्षों तक लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया। यह रोग मुख्य रूप से छोटे बच्चों को निशाना बनाता है और उनकी जीवनशैली को स्थायी रूप से बदल सकता है। जिससे बच्चों को विकलांग बना देता है।पोलियो को हिंदी में पोलियोमायलाइटिस भी कहा जाता है। यह रोग वायरस के कारण होता है और शरीर की नसों पर हमला कर स्थायी विकलांगता तक पहुंचा सकता है। वर्तमान समय में टीकाकरण और जागरूकता अभियानों के कारण पोलियो पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा चुका है, पर एक समय ऐसा भी था कि पोलियो के कारण लाखों का जिंदगी खराब हो गया , इसलिए हमलोगों को ऐसे खतरनाक समस्या के बारे में पता होना चाहिए ताकि इससे बच सके।


पोलियो क्या है?


पोलियो एक वायरल संक्रमण है, जो पोलियो वायरस के कारण फैलता है। यह वायरस मानव आंतों में प्रवेश करता है और वहां से रक्त के माध्यम से तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) तक पहुंच जाता है। कुछ मामलों में यह रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क पर असर डालता है, जिससे हाथ-पैरों में कमजोरी, लकवा या स्थायी विकलांगता हो सकती है।


पोलियो कैसे फैलता है?

पोलियो मुख्यतः फीकल-ओरल रूट से फैलता है, यानी संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद वायरस पानी या भोजन के माध्यम से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है।

संक्रमित पानी पीने से

गंदगी या अस्वच्छ वातावरण से

संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से

व्यक्तिगत साफ-सफाई की कमी से

गंदा पानी पीने से

गंदा पानी से खाना बनाने से

इसलिए स्वच्छता और स्वच्छ पानी का उपयोग पोलियो से बचाव में महत्वपूर्ण है।


पोलियो के प्रकार

पोलियो के लक्षण और असर अलग-अलग होते हैं। इसे मुख्य रूप से तीन प्रकारों में बांटा जा सकता है:


1. सबक्लिनिकल पोलियो – इसमें लक्षण बहुत हल्के होते हैं या बिल्कुल नजर नहीं आते यही कारण है कि समय रहते हमें इसके बारे में पता नहीं चल पाता है।


2. नॉन-पैरेलिटिक पोलियो – इसमें बुखार, सिरदर्द, गले में दर्द और थकान जैसे लक्षण होते हैं लेकिन लकवे की स्थिति नहीं बनती।


3. पैरेलिटिक पोलियो – यह सबसे गंभीर रूप है, जिसमें मांसपेशियों पर असर पड़ता है और शरीर के किसी हिस्से में स्थायी विकलांगता हो सकती है,अगर एक बार ऐसा समस्या आ गया तो इससे बचना असंभव है।


पोलियो के लक्षण


पोलियो के लक्षण संक्रमण के स्तर पर निर्भर करते हैं।


हल्के मामलों में बुखार, सिरदर्द, उल्टी, थकान, गले में खराश और पेट दर्द होता है।

गंभीर मामलों में मांसपेशियों की कमजोरी, चलने-फिरने में कठिनाई, अंगों का सुन्न होना, लकवा, विकलांग इत्यादि।

बहुत ही गंभीर स्थिति में सांस लेने वाली मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं, जिससे मृत्यु का खतरा भी बढ़ जाता है।


पोलियो के प्रभाव

पोलियो केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि सामाजिक और मानसिक प्रभाव भी छोड़ता है। जिन बच्चों या व्यक्तियों को पोलियो हो जाता है, वे जीवनभर विकलांगता के साथ जीने को मजबूर हो सकते हैं। इससे न केवल उनका आत्मविश्वास प्रभावित होता है बल्कि शिक्षा, रोजगार और सामाजिक जीवन पर भी गहरा असर पड़ता है।इसलिए हमेशा माता पिता को अपने बच्चों का इससे बचाव के लिए ध्यान रखना चाहिए ।


पोलियो से बचाव

चिकित्सा विज्ञान ने पोलियो को नियंत्रित करने के लिए टीकाकरण का सबसे बड़ा हथियार दिया है।


पोलियो ड्रॉप्स (ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV)


इंजेक्शन के रूप में पोलियो वैक्सीन (IPV)


भारत में समय-समय पर पल्स पोलियो अभियान चलाया जाता है, जिसमें पांच वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त पोलियो की खुराक दी जाती है।


भारत में पोलियो की स्थिति

भारत कभी पोलियो से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक था। लेकिन सरकार, स्वास्थ्य संगठन और जनता के सामूहिक प्रयासों से भारत को 2014 में पोलियो मुक्त घोषित किया गया। हालांकि, अभी भी खतरा बना हुआ है क्योंकि कुछ देशों में पोलियो के मामले पाए जाते हैं। ऐसे में सतर्कता और निरंतर टीकाकरण बेहद जरूरी है।


पोलियो उन्मूलन में चुनौतियाँ


दूर-दराज के क्षेत्रों में जागरूकता की कमी।

अफवाहों और भ्रांतियों के कारण कुछ लोग बच्चों को टीका नहीं लगवाते।जिसके कारण पोलियो हो सकता है,इसलिए अपने 0-5 साल के बच्चों को पोलियो का टीका जरूर लगवाए

स्वच्छता की कमी और दूषित पानी।

सीमावर्ती क्षेत्रों से संक्रमण का खतरा।

पोलियो मुक्त समाज की ओर

पोलियो को पूरी तरह समाप्त करने के लिए केवल सरकार ही नहीं बल्कि आम नागरिकों को भी योगदान देना होगा।

बच्चों को समय पर टीके लगवाना।

स्वच्छता बनाए रखना।

दूषित पानी से बचाव।

अफवाहों से दूर रहकर लोगों को जागरूक करना।


निष्कर्ष

पोलियो एक खतरनाक और जीवन बदल देने वाली बीमारी है, लेकिन सही समय पर टीकाकरण और स्वच्छता अपनाकर इसे पूरी तरह रोका जा सकता है। भारत ने पोलियो मुक्त होने का गौरव हासिल किया है, लेकिन इसे बनाए रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आने वाली पीढ़ियाँ इस बीमारी से पूरी तरह सुरक्षित रहें।आपको अपने बच्चों के साथ साथ वैसे बच्चों का भी ख्याल रखना है जिसके माता पिता इस गंभीर बीमारी के बारे में जानकारी नहीं रखते है।हमारा एक कदम ऐसे खतरनाक बीमारी को हमारे परिवार और समाज से दूर रख सकता है।

पोलियो पर नियंत्रण और उन्मूलन का उदाहरण यह साबित करता है कि यदि समाज और सरकार मिलकर प्रयास करें, तो किसी भी बड़ी बीमारी को हराया जा सकता है। यही संदेश हर नागरिक तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है।

हमें अपने बच्चों को पोलियो का टीका जरूर लगवाए

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Thank U!