डिजिटल दुनिया के दुष्प्रभाव (Side Effects of Digital World)



 डिजिटल दुनिया के दुष्प्रभाव (Side Effects of Digital World)

21वीं सदी को अगर डिजिटल युग कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगी। इंटरनेट, मोबाइल फोन, सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने हमारे जीवन को पूरी तरह बदल दिया है। आज हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में डिजिटल तकनीक से जुड़ा हुआ है। चाहे पढ़ाई हो, नौकरी हो या मनोरंजन — हर काम ऑनलाइन हो रहा है। लेकिन जहां डिजिटल दुनिया ने हमें अनेक सुविधाएँ दी हैं, वहीं इसके कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं। इस सब के कारण लोग दिन प्रतिदिन आलसी होते जा रहे है।आज हमलोग  इन्हीं नकारात्मक प्रभावों को जानेंगे ।


(1) मानसिक स्वास्थ्य पर असर

डिजिटल दुनिया का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।

लगातार मोबाइल और सोशल मीडिया के प्रयोग से लोग तनाव (stress), चिंता (anxiety) और अवसाद (depression) के सामना कर रहे है।

हर समय नोटिफिकेशन, लाइक और कमेंट की दुनिया में व्यक्ति अपनी तुलना दूसरों से करने लगता है, जिससे आत्मविश्वास में कमी और नकारात्मक सोच बढ़ने लगती है,आपको अपने प्रति बुरा ख्याल आने लगता है,आप अपनी तुलना दूसरों से करने लगते है।

विशेष रूप से किशोर वर्ग में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, जो अपनी पहचान सोशल मीडिया की लोकप्रियता से जोड़ने लगते हैं,जिसके कारण उनको आत्म विश्वास में कमी आता है।


(2) नींद की गुणवत्ता में गिरावट

डिजिटल उपकरणों से निकलने वाली ब्लू लाइट हमारे मस्तिष्क को यह महसूस नहीं होने देती कि रात हो चुकी है,जिसके कारण नींद पूरा नहीं हो पाता है,और आपके मानसिक एवं शारीरिक क्षमता पर बुरा असर डालता है।

कई अध्ययन बताते हैं कि जो लोग सोने से पहले मोबाइल या लैपटॉप का उपयोग करते हैं, उन्हें नींद आने में कठिनाई होती है और उनका नींद चक्र (sleep cycle) गड़बड़ा जाता है।

परिणामस्वरूप व्यक्ति थकान, चिड़चिड़ापन और ध्यान की कमी जैसी समस्याओं से जूझता पड़ता है।


(3)शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव


डिजिटल युग ने जहाँ काम आसान किया है, वहीं शारीरिक निष्क्रियता (physical inactivity) को भी बढ़ावा दिया है।

लोग घंटों तक मोबाइल या कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं। इससे आपको निम्नलिखित समस्या का सामना करना पर सकता है।

  • आंखों में जलन या दर्द,
  • गर्दन और पीठ का दर्द,
  • मोटापा,
  • ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।
  • ‘टेक नेक’ (Tech Neck)
  •  ‘डिजिटल आई स्ट्रेन’ 

अगर आप इससे ज्यादा जुड़ते है तो आपको निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पर सकता है।


(4) सामाजिक संबंधों में दूरी

डिजिटल दुनिया ने लोगों को वर्चुअली (virtually) तो जोड़ा है, लेकिन भावनात्मक रूप से दूर कर दिया है।अब आप अपने परिवार के साथ बैठकर बातचीत करने की बजाय लोग अब मोबाइल स्क्रीन पर व्यस्त रहते हैं। जिसके कारण आप अपने परिवार एवं सामाजिक जीवन से धीरे – धीरे दूर जा रहे है। सोशल मीडिया ने वास्तविक संबंधों को कमजोर कर दिया है।
आज व्यक्ति के पास हजारों ऑनलाइन “फ्रेंड्स” हैं, परंतु जब उसे वास्तव में किसी की जरूरत होती है तो कोई साथ नहीं होता। यह एकाकीपन (loneliness) आधुनिक समाज की बड़ी समस्या बन गई है।


(5)बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव

डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग बच्चों के बौद्धिक विकास पर नकारात्मक असर डालता है।
वे खेलकूद और रचनात्मक गतिविधियों से दूर होकर वीडियो गेम्स और यूट्यूब की दुनिया में खो जाते हैं।
इससे उनकी ध्यान देने की क्षमता, सीखने की गति और शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है।
अक्सर बच्चे ऑनलाइन हिंसक या अनुचित सामग्री देख लेते हैं, जिससे उनके विचार और व्यवहार पर बुरा असर पड़ता है।


(6) निजता और डेटा सुरक्षा की समस्या

डिजिटल युग में डेटा ही सबसे बड़ी पूंजी बन चुका है।
लेकिन हर व्यक्ति का निजी डेटा — जैसे बैंक डिटेल, लोकेशन, फोटो या संदेश — इंटरनेट पर उपलब्ध रहता है।
हैकिंग, ऑनलाइन ठगी और साइबर अपराधों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
कई बार बिना जानकारी के व्यक्ति की निजी जानकारी विज्ञापनों या अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती है।
इससे निजता (privacy) और सुरक्षा (security) पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।


(7) फेक न्यूज और गलत जानकारी का प्रसार

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सूचना साझा करना आसान है, लेकिन सत्य और असत्य में फर्क करना कठिन।
फेक न्यूज, अफवाहें, और भ्रामक जानकारी सोशल मीडिया पर पलभर में वायरल हो जाती है।
इससे समाज में भ्रम, नफरत और तनाव जैसी स्थितियाँ पैदा होती हैं।
कई बार ऐसी झूठी खबरें हिंसा या सामाजिक अशांति का कारण बन जाती हैं।


(8) शिक्षा पर दुष्प्रभाव

ऑनलाइन शिक्षा ने भले ही पढ़ाई को आसान बनाया है, लेकिन इससे छात्रों की एकाग्रता (concentration) और अनुशासन (discipline) पर असर पड़ा है। ऑनलाइन कक्षाओं में बच्चों का ध्यान अक्सर अन्य ऐप्स या गेम्स की ओर चला जाता है। इसके अलावा, कॉपी-पेस्ट संस्कृति के कारण छात्र अपनी रचनात्मक सोच और लेखन कौशल खोते जा रहे हैं ।डिजिटल माध्यमों पर निर्भरता बढ़ने से किताबें और पारंपरिक अध्ययन की आदत घट रही है।


(9) पर्यावरण पर असर

डिजिटल दुनिया का एक छिपा हुआ दुष्प्रभाव ई-वेस्ट (E-waste) के रूप में सामने आ रहा है।
हर साल लाखों पुराने मोबाइल, लैपटॉप और गैजेट्स फेंके जाते हैं, जो पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।
इन उपकरणों में मौजूद हानिकारक रसायन मिट्टी और जल को दूषित करते हैं।
इस प्रकार, डिजिटल प्रगति अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरणीय संकट भी पैदा कर रही है।


(10) साइबर बुलिंग और ऑनलाइन हिंसा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साइबर बुलिंग, ट्रोलिंग, और ऑनलाइन उत्पीड़न जैसी घटनाएँ बढ़ रही हैं।
कई लोग दूसरों का मज़ाक उड़ाते हैं, अपमानजनक टिप्पणी करते हैं या व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग करते हैं।
इससे पीड़ित व्यक्ति मानसिक रूप से आहत होता है और कई बार आत्महत्या जैसी घटनाएँ भी सामने आती हैं।
यह डिजिटल समाज की एक गंभीर समस्या बन चुकी है। सोशल मीडिया ने बहुत लोगों को बर्बाद किया है, ये भी बात सही है कि बहुत से लोगों का जिंदगी भी इससे बना है, अगर आप सोशल मीडिया से जुड़े है तो ठीक है पर इसको अपना आदत न बनने दे।

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