मासिक धर्म (Periods) महिलाओं के जीवन का एक महत्ब्पूर्ण जैविक प्रक्रिया है, जो उनकी प्रजनन क्षमता का संकेत देती है। लेकिन आज भी हमारे समाज में यह विषय शर्म, झिझक और अंधविश्वास से घिरा हुआ है, लोग आज भी इसके बारे में चर्चा करने से शरमाते है। बहुत सी लड़कियाँ और महिलाएँ मासिक धर्म से जुड़ी सही जानकारी और स्वच्छता के अभाव में कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करती हैं।इसकेलिए इसका ज्ञान होना बहुत जरुरी वही अन्यथा आप बीमार भी हो सकते है।
इसलिए, “मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता जागरूकता” पर खुलकर बात करना और सही जानकारी देना बेहद ज़रूरी है।
1. मासिक धर्म क्या है?
मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो हर माह महिलाओं और किशोरियों के शरीर में होती है।
यह तब शुरू होती है जब लड़की का शरीर यौवन अवस्था में प्रवेश करता है, जिसे आमतौर पर 12 से 15 वर्ष की आयु के बीच देखा जाता है।हर माह गर्भाशय की परत मोटी हो जाती है ताकि यदि गर्भधारण हो तो भ्रूण का विकास हो सके। यदि गर्भधारण नहीं होता, तो यह परत खून के साथ शरीर से बाहर निकल जाती है इसी को हम “मासिक धर्म” कहते है।
सामान्यतः पीरियड्स 3 से 7 दिनों तक चलते हैं और यह चक्र 28 से 35 दिनों में दोहराया जाता है।
2. मासिक धर्म के दौरान शरीर में क्या क्या परिवर्तन देखने को मिलता है?
मासिक धर्म के समय हार्मोनल बदलावों के कारण शरीर और मन दोनों पर प्रभाव पड़ता है।
महिलाओं को इस दौरान निम्नलिखित लक्षण महसूस हो सकते हैं:
- पेट या कमर दर्द
- थकान और कमजोरी
- मूड स्विंग्स
- भूख में कमी या वृद्धि
- स्तनों में हल्की सूजन या दर्द
- सिरदर्द या चिड़चिड़ापन
ये सभी बदलाव सामान्य हैं और हर महिला का अनुभव अलग हो सकता है।
3. मासिक धर्म स्वच्छता का महत्व
मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखना बहुत आवश्यक है। यदि इस दौरान स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जाए, तो संक्रमण, त्वचा पर दाने, खुजली और बदबू जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
लंबे समय तक गीले या गंदे पैड का उपयोग करने से बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है, जिससे यूटेरिन इंफेक्शन या यूटीआई (Urinary Tract Infection) जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।
इसलिए मासिक धर्म के दौरान सही स्वच्छता अपनाना एक स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।
4. मासिक धर्म के दौरान अपनाने योग्य स्वच्छता के उपाय
नीचे कुछ जरूरी स्वच्छता आदतें दी गई हैं, जिन्हें हर महिला और लड़की को अपनाना चाहिए:
(1) सेनेटरी पैड या कप का सही उपयोग करें हर 4 से 6 घंटे में पैड या टैम्पोन बदलें।
अगर आप मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करती हैं तो उसे उबालकर साफ करें और दोबारा उपयोग करें।
गंदे पैड को खुले में न फेंकें, उसे पेपर या बैग में लपेटकर फेंकें।
(2) साफ-सफाई का ध्यान रखें
रोजाना स्नान करें और निजी अंगों को साफ रखें।
सुगंधित साबुन या स्प्रे का उपयोग न करें क्योंकि ये संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
पीरियड्स के दौरान सूती और ढीले कपड़े पहनें ताकि हवा लगती रहे।
(3) सही आहार लें
आयरन और विटामिन युक्त भोजन लें जैसे हरी सब्जियाँ, फल, दालें, अंडा आदि।
कैफीन और ज्यादा तेल वाले भोजन से बचें।
पानी खूब पिएँ ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।
5. मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियाँ और सामाजिक वर्जनाएँ
हमारे समाज में आज भी मासिक धर्म को अशुद्ध या शर्म का विषय माना जाता है।कई जगहों पर महिलाओं को इस दौरान मंदिर जाने, रसोई में प्रवेश करने या बिस्तर पर बैठने तक से रोका जाता है।यह सब पुराने अंधविश्वास हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।इन भ्रांतियों को तोड़ने के लिए शिक्षा और जागरूकता बहुत जरूरी है।मासिक धर्म न तो शर्म की बात है और न ही यह किसी तरह की अशुद्धता का प्रतीक।यह प्रकृति की वह प्रक्रिया है, जो जीवन के जन्म से जुड़ी है।
6. किशोरियों में मासिक धर्म शिक्षा की आवश्यकता
अक्सर ग्रामीण इलाकों या छोटे कस्बों में लड़कियों को मासिक धर्म के बारे में जानकारी नहीं दी जाती, जिससे पहली बार पीरियड्स आने पर वे डर जाती हैं या गलत आदतें अपनाती हैं।
स्कूलों में “मासिक धर्म शिक्षा” को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए ताकि लड़कियाँ समय से पहले तैयार हों।
माता-पिता, शिक्षकों और समाज का कर्तव्य है कि वे बेटियों से इस विषय पर खुलकर बात करें और सही जानकारी दें।
7. मासिक धर्म के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
मासिक धर्म के समय कुछ साधारण आदतें अपनाकर महिलाएँ खुद को स्वस्थ और आरामदायक रख सकती हैं:
अधिक आराम करें और तनाव न लें।
हल्का योग या स्ट्रेचिंग करें जिससे दर्द में राहत मिले।
पर्याप्त पानी और पौष्टिक भोजन लें।
दर्द अधिक होने पर डॉक्टर की सलाह लें, स्वयं दवा न खाएँ।
अपने मासिक चक्र का ट्रैक रखें (कैलेंडर या मोबाइल ऐप के जरिए।
8. सरकार और समाज की भूमिका
भारत में सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन महिलाओं की मासिक धर्म स्वच्छता पर विशेष अभियान चला रहे हैं।
“स्वच्छ भारत मिशन”, “Menstrual Hygiene Scheme (MHS)” और NGO campaigns के माध्यम से सेनेटरी पैड्स को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराया जा रहा है।
कई जगहों पर स्कूलों और पंचायतों में सेनेटरी वेंडिंग मशीनें लगाई गई हैं ताकि लड़कियों को आसानी से पैड मिल सकें।
9. पुरुषों की भूमिका
मासिक धर्म सिर्फ महिलाओं का नहीं, बल्कि पूरे समाज का विषय है।
पुरुषों को भी इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि वे अपनी बहनों, पत्नियों और बेटियों का सहयोग कर सकें।
जब पुरुष इस विषय पर खुलकर बात करेंगे, तब ही “मासिक धर्म” को लेकर फैली शर्म और झिझक खत्म होगी।
10. निष्कर्ष
मासिक धर्म महिला शरीर की एक स्वाभाविक और आवश्यक प्रक्रिया है। यह किसी अपवित्रता का प्रतीक नहीं, बल्कि सृजन और जीवन की निशानी है,और इसके बिना गर्भधारण करना संभव नहीं है। हर लड़की और महिला को अपने मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखना और सही जानकारी रखना चाहिए।
शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक सहयोग से हम एक ऐसा वातावरण बना सकते हैं जहाँ लड़कियाँ बिना डर और शर्म के अपनी इस प्राकृतिक प्रक्रिया को स्वीकार कर सकें। यह तब ही संभव होगा जब हमलोग इसके बारे में समझेंगे।


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