पीत ज्वर (Yellow Fever): कारण, लक्षण, उपचार, बचाव और टीकाकरण की पूरी जानकारी हिंदी में


पीत ज्वर (Yellow Fever) क्या है ?
पीत ज्वर जिसे अंग्रेज़ी में Yellow Fever कहा जाता है, एक गंभीर वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से Aedes aegypti नामक मच्छर के काटने से फैलता है। यह रोग अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में अधिक पाया जाता है, लेकिन यदि सावधानी न बरती जाए तो यह किसी भी देश में फैल सकता है। इस रोग का नाम “पीत ज्वर” इसलिए पड़ा क्योंकि इससे पीड़ित व्यक्ति की त्वचा और आंखों में पीलापन आ जाता है, जो जिगर (लिवर) के प्रभावित होने के कारण होता है। यह रोग यदि समय पर पहचान कर इलाज न किया जाए तो जानलेवा साबित हो सकता है।

पीत ज्वर का इतिहास कैसा है ?

पीत ज्वर का इतिहास बहुत पुराना है। 17वीं सदी में अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में इस रोग ने कई बार महामारी का रूप लिया था। 19वीं सदी में यह रोग अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में भी फैला था। उस समय चिकित्सा विज्ञान इतना विकसित नहीं था, इसलिए लाखों लोगों की मृत्यु हो गई। 1900 के दशक में वैज्ञानिकों ने यह खोज की कि यह रोग एडिस मच्छर के काटने से फैलता है। इस खोज के बाद से इसके रोकथाम के उपायों पर काम शुरू हुआ और अंततः 1937 में पीत ज्वर के लिए वैक्सीन विकसित की गई।

पीत ज्वर के कारण क्या है ?

पीत ज्वर फ्लैविवायरस (Flavivirus) नामक वायरस से होता है। यह वायरस संक्रमित मच्छरों के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है। जब कोई Aedes aegypti मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो उसके शरीर में यह वायरस चला जाता है। बाद में वही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो यह वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर जाता है। इस प्रकार यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अप्रत्यक्ष रूप से फैलता है।
यह मच्छर दिन के समय अधिक सक्रिय रहता है, खासकर सुबह और शाम के समय। गंदगी, रुका हुआ पानी और नम वातावरण में इन मच्छरों का प्रजनन तेजी से होता है।

पीत ज्वर के लक्षण कैसे देखे ?

पीत ज्वर के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 3 से 6 दिन बाद दिखाई देते हैं। इसे दो चरणों में बाँटा जा सकता है –

1. प्रारंभिक चरण (Initial Phase):
इस चरण में लक्षण हल्के होते हैं और व्यक्ति को सामान्य बुखार जैसा अनुभव होता है। मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं :-

  •     तेज बुखार
  •     सिरदर्द
  •     शरीर के मंश्पेसियो एवं जोड़ो में दर्द 
  •     उल्टी और मितली
  •     थकान और कमजोरी
  •     भूख की कमी
  •     आंखों में दर्द

2. गंभीर चरण (Toxic Phase):
कुछ मामलों में प्रारंभिक लक्षणों के बाद रोग दोबारा गंभीर रूप ले लेता है। इसे विषाक्त अवस्था कहा जाता है। इसमें निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं –

  •     त्वचा और आंखों का पीला हो जाना (पीलिया)
  •     पेट में दर्द
  •     उल्टी में खून आना
  •     पेशाब में खून
  •     रक्तचाप का गिरना
  •     लिवर और किडनी का खराब होना
  •     नाक और मुंह से खून निकलना

पीत ज्वर का निदान कैसे करे ?

पीत ज्वर के लक्षण अन्य बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया और हेपेटाइटिस से मिलते-जुलते हैं, इसलिए सही निदान के लिए प्रयोगशाला परीक्षण आवश्यक होता है। इसके लिए रक्त जांच के माध्यम से वायरस की पहचान की जाती है।
कुछ प्रमुख परीक्षण हैं 

  •  RT-PCR टेस्ट: वायरस के आनुवंशिक पदार्थ (RNA) की पहचान के लिए किया जाता है।
  •  ELISA टेस्ट: वायरस के खिलाफ शरीर में बनी एंटीबॉडी (IgM, IgG) की जांच करता है।
  •  लिवर फंक्शन टेस्ट: यह जांच करता है कि लिवर कितनी हद तक प्रभावित हुआ है।

पीत ज्वर का उपचार कैसे करे ?

वर्तमान में पीत ज्वर के लिए कोई विशिष्ट दवा या एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है। उपचार मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने और शरीर को सहारा देने पर केंद्रित होता है। अस्पताल में भर्ती रोगी को तरल पदार्थ दिए जाते हैं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।


पीत ज्वर का इलाज़ कैसे करे?
  • बुखार कम करने के लिए पैरासिटामोल जैसी दवा दी जाती है (एस्पिरिन नहीं दी जाती क्योंकि इससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ता है)।
  • उल्टी और डिहाइड्रेशन रोकने के लिए तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स दिए जाते हैं।
  •  लिवर की स्थिति पर निगरानी रखी जाती है।
  • गंभीर मामलों में रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है।


पीत ज्वर की रोकथाम कैसे करे?

पीत ज्वर से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण (Vaccination) है।

1. टीकाकरण:
पीत ज्वर के लिए विकसित Yellow Fever Vaccine अत्यंत प्रभावी है। यह एक बार लगवाने पर लगभग जीवनभर सुरक्षा देता है।

  • 9 महीने से अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों को यह टीका लगाया जा सकता है।
  •  अफ्रीका या दक्षिण अमेरिका जैसे पीत ज्वर प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा करने से पहले यह टीका लगवाना अनिवार्य है।
  •  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कई देशों में इस टीके का प्रमाणपत्र यात्रा दस्तावेजों में आवश्यक किया है।

2. मच्छर नियंत्रण:

  1. अपने घर और आसपास रुके हुए पानी को हटाएं।
  2.  मच्छरदानी का उपयोग करें।
  3.  शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
  4.  मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का प्रयोग करें।
  5.  पुराने टायर, बोतलें और डिब्बों में पानी जमा न होने दें।

3. पर्यावरणीय स्वच्छता:
साफ-सफाई मच्छरों के प्रजनन को रोकने का सबसे सरल उपाय है। नगर निगम द्वारा नियमित फॉगिंग करवाना और घरों के आसपास दवाइयों का छिड़काव करवाना आवश्यक है।

सरकारी और अंतरराष्ट्रीय इससे बचने के लिए क्या कर रही है ?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनिसेफ और GAVI जैसी संस्थाएं “Eliminate Yellow Fever Epidemics (EYE)” नामक अभियान चला रही हैं, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक इस बीमारी को नियंत्रित करना है। इस अभियान के तहत अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाए जा रहे हैं।

भारत सरकार भी ऐसे देशों से आने वाले यात्रियों के लिए Yellow Fever Vaccination Certificate अनिवार्य करती है। देश में कुछ चुनिंदा केंद्रों पर यह टीका लगाया जाता है, जैसे – दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, और हैदराबाद के सरकारी अस्पतालों में।


निष्कर्ष
यह बीमारी बहुत ही खतरनाक है अगर समय रहते इसका इलाज किया जाए तो इसको रोका जा सकता है। यदि लोग साफ-सफाई पर ध्यान दें, मच्छरों से बचाव करें और टीकाकरण करवाएं तो इस बीमारी का खतरा बहुत कम किया जा सकता है। जागरूकता, सतर्कता और सामूहिक प्रयास ही इस रोग से बचने का सबसे मजबूत हथियार हैं।


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